Your's Truly Debut Ghazal
न हमें आप के आने का भरोसा था
न हवा का, हसीं का, जीवन का ढिंढोरा था
हमारे कर्मों का पिटारा यूं ही खुलता रहे
कर्मों की शिकायत सुनने का नजरिया था
न हमें .................................
यूं ही गम में, ख़ुशी में, हम उलझते रहे
अब उस के भरोसे जीने का नजरिया था
न हमें .....................................
न डगर है, न लक्ष्यों की बंधीश कोई
न इरादों, न होसलों के झंझट कई
हमारी उल्फत-ऐ-नज़र का अंदाज़ अलग है अब
न तेरे आने, न बिदाई, का आलम है सखत
हमारा दिल मचलता है खुली हवा के इन झोकों से अब
न तेरे आँचल की परछाई की ज़रुरत है कोई
न हमें .............................................
न हवा का, ................................................
रविवार, 18 जुलाई 2010
शुक्रवार, 16 जुलाई 2010
ॐ नमः शिवाय ॐ विश्णय नमः
संस्कृति के प्रभाव से
संस्कृत भाषा से अपने योग
की प्रतिशता करता हूँ
मैं उस शलोक की रचना
करने की आशा रखता हूँ
जिस में संस्कृत भाषा
की संस्कृति की शुद्धता
प्रसिद्द हो
आधय्त्म की सुगंध से शोभित
इस शलोक की आशा
अपनी संस्कृति को अर्पित करता हूँ
संस्कृत भाषा से अपने योग
की प्रतिशता करता हूँ
मैं उस शलोक की रचना
करने की आशा रखता हूँ
जिस में संस्कृत भाषा
की संस्कृति की शुद्धता
प्रसिद्द हो
आधय्त्म की सुगंध से शोभित
इस शलोक की आशा
अपनी संस्कृति को अर्पित करता हूँ
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