गुरुवार, 25 सितंबर 2008

ॐ नमः शिवाय ॐ विश्नाय नमः

इस सुन्दरता की व्याक्ख्या
किस मुख से ब्यान करुँ
यह सुरीली रोशनी
यह अटल प्रकाश
इस बत्ती की संवेदना
किस मुख से ब्यान करुँ
यह प्रकाश,
यह मोम का अनाकार आकार
प्यासा अँधेरा
उस में इस रोशनी के प्रकाश का निवास
किस मुख से ब्यान करुँ
मैं अपने विचलित मन की
कूरूप आशाओं का यह प्रदर्शन
किस मुख से ब्यान करुँ
किस मुख से ब्यान करुँ


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