सोमवार, 27 अक्टूबर 2008

ॐ नमः शिवाय ॐ विश्णय नमः

कुछ सोचा तो आखें भर आयी
ज़िन्दगी बेमतलब-सी समझ आयी
कुछ और सोचा तो मुसीबत सामने ही नज़र आयी
समझ लो ज़िन्दगी से बेहतर,
मौत नज़र आयी
इन् विचारों, आशाओं, की लुका-छुपी में
मुझे तेरी ज़रूरत नज़र आयी
अपनी आवाज़ में तेरी गूँज नज़र आयी
मेरी दिशा में रौशनी छिड़क
मेरे सफर में साथ चल
अपना साथ दे,
मेरे साथ चल
हे प्रभु, मुझे जाग्रति दे

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