सोमवार, 23 दिसंबर 2013

अपना बुद्ध ढूंढे

मेरे चेहरे पर से यह बुद्ध की तस्वीर कैसे हटाओगे … 
मैं जी रहा हूँ उसे इस मन से परे हो कर … 
मेरे चैन की मस्ती कैसे मिटाओगे …
मैं सो रहा हूँ अब तुम से अलग हो कर… 
चाहतें, दुश्मनी, मोह, अपेक्षाएँ … 
कैसे उलझाओगे अब मुझे मेरे मालिक हो कर 
मैंने अपनी मालकियत ढूँढ ली है 
तुम से कोई शिकायत नहीं
बस रिश्ता ना रहा खुदा हो कर …