ॐ नमः शिवाय ॐ विश्नाय नमः
इस हवा का एहसास
इस हवा में घुल कर कर रहा हूँ
अपने व्यक्तित्व के भार की पहचान
अपने व्यक्तित्व का निर्वाह कर कर रहा हूँ
मैं उर रह हूँ
और अब पृथ्वी पर अपने भोज का अंत कर रहा हूँ
मेरे बन्धन टूटे नहीं, तो भगवान् मेरे बन्धन तोर कर
मुझे आबाद कर रहा है
मुझ से इतने प्यार का धन्यवाद स्वीकार कर, हे भगवन
कि तू मुझे अपनी तरह आबाद कर रहा है
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