शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

ॐ नमः शिवाय ॐ विश्नाय नमः

मेरे ख्वाब इक तस्वीर हैं
जिसे मैं छु तो सकता हूँ
पर महसूस नहीं
आज फिर मैं धनी महसूस कर रहा हूँ
मेरे ख्वाब हैं लेकिन सिर्फ़ स्पर्श नहीं
मैं ऊचायीओं के लिए बना हूँ
मैं सर्वाधिक ऊचायीओं के लिए बना हूँ
मुझे कोई क्यों रोके
मैं अत्यन्त परिश्रमी हूँ

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