शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

ॐ नमः शिवाय ॐ विश्नाय नमः

प्यार भरे इस दिल में मेरे
प्यार से ही तकरार यह कैसी
उन यादों का दहन हो कैसे
जो यादें कभी बनी न यादें
ऐ मेरे दिल, मत टूट
टूटे तुक्रे मैं जोरुंगा कैसे
ऐ दर्द बाहर निकल
तेरा बोझ मैं झेलूँगा कैसे
व्यक्ति के व्यक्तित्व का बोझ
तेरे आराम का कारन है
अरे, ऐ कायर, ज़रा बाहर निकल
इस आकाश का चैन तोर दिखा ज़रा
मुझ शीन की क्या कीमत है
अपना मूल्य समझ ज़रा
मुझे चिंतन में खो जाने दे
आकाश से मेरे इस मिलन में, अपना सहयोग दे ज़रा

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